Success Story: पहले दूसरे के खेतों में करती थी मजदूरी, अब महिला बनी सफल किसान, पढ़ें संघर्ष की कहानी

Success Story: पहले दूसरे के खेतों में करती थी मजदूरी, अब महिला बनी सफल किसान, पढ़ें संघर्ष की कहानी


रिपोर्ट: अरविंद शर्मा

भिंड. कहते हैं कामयाबी हासिल करनी हो तो हौसले मजबूत होने चाहिए. ऐसा ही भिंड की गोहद ब्लॉक की चकतुकैड़ा गांव की पूजा देवी ने कर दिखाया है. कोरोना काल में पति की नौकरी छूटने के बाद उन्‍होंने मशरूम की खेती कर परिवार को सहारा दिया. इतना ही नहीं उन्होंने अपनी जैसी कई महिलाओं को रोजगार से जोड़कर उनका भी जीवन बदला है.

पूजा देवी ने न्‍यूज़ 18 लोकल को बताया कि पहले मैं किसानो के खेत में मजदूरी करती थी और मेरे पति बाहर नौकरी करते थे. इस बीच कोरोनाकाल में पति की नौकरी चली गई. मुझे भी मजदूरी मिलनी बंद हो गई, तो फिर आय के सारे रास्ते बंद हो गए. किसी की सलाह पर मैंने एफपीओ (फार्मर प्रोड्यूसर आर्गेनाइजेशन) से मशरूम की खेती का प्रशिक्षण लिया. इसमें कम्पोस्ट सहित बटन मशरूम उत्पादन की अन्य सामग्री भी मिली. अब मैं विशेषज्ञों की देखरेख में मशरूम की पैदावार कर रही हूं. इससे अच्छा खासा मुनाफा मिल रहा है. यही नहीं, मैं कई महिलाओं को मशरूम खेती से जोड़कर उन्हें भी रोजगार दे रही हूं. पूजा का कहना है कि फिलहाल करीबन 3 किलो मशरूम प्रतिदिन मिल रहा है. बाजार में यह 150 से 200 रुपए किलो में बिक जाता है.

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मशरूम का उत्पादन करने से पहले ये जान लें
पूजा ने बताया कि कोई भी महिलाएं मशरूम की खेती घर बैठे करना चाहती है, तो एफपीओ से इसका प्रशिक्षण लेकर आगे बढ़ सकती है. तीन तरह के मशरूम का उत्पादन होता है. सितम्बर महीने से 15 नवंबर तक ढिगरी मशरूम, तो इसके बाद आप बटन मशरूम का उत्पादन कर सकते हैं. यह फसल फरवरी-मार्च तक चलती है. इसके बाद मिल्की मशरूम का उत्पादन भी होता है, जो कि जून-जुलाई तक चलता है. इस तरह आप साल भर मशरूम का उत्पादन कर सकते हैं.

ऐसे करें मशरूम उत्पादन की शुरुआत
भिंड के कृषि विशेषज्ञ शिवराज यादव ने बताया कि मशरूम की खेती करना काफी आसान है. इसे कोई भी कर सकता है. इसके लिए दस किलो भूसे को 100 लीटर पानी में भिगोया जाता है. इसकी तैयारी के लिए 150 मिली फार्मलिन और सात ग्राम कार्बेन्डाज़िम को पानी में घोलकर इसमें दस किलो भूसा डूबोकर उसका शोधन किया जाता है. भूसा भिगोने के लगभग बारह घंटे बाद इसे निकाल लेते हैं. इसके बाद भूसे को किसी जालीदार बैग में भरकर या फिर चारपाई पर फैला देते हैं, जिससे अतिरिक्त पानी निकल जाता है. इसके बाद एक किलो सूखे भूसे को एक बैग में तीन लेयर में भरकर उसमें मशरूम लगा दिया जाता है.

Tags: Bhind news, Mp news, Mushroom, Womens Success Story



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