Sharad Yadav Funeral: अपने गांव को बहुत याद करते थे शरद यादव, हर बार परिजनों से कहते थे एक बात

Sharad Yadav Funeral: अपने गांव को बहुत याद करते थे शरद यादव, हर बार परिजनों से कहते थे एक बात


नर्मदापुरम. पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव का शनिवार को अंतिम संस्कार किया जाएगा. उन्होंने 75वें साल में अंतिम सांस ली. यादव को अपने गांव आंखमऊ से बेहद लगाव था. परिजनों के मुताबिक, उनकी जब भी शरद यादव से बात होती थी तो वे एक बात बोलते थे, वे कहते थे, ‘जब वह जीवन त्यागें तो उनका अंतिम संस्कार गांव के घर के पास वाले खलिहान में ही किया जाए.’

स्व. शरद यादव का अंतिम संस्कार ग्राम आंखमऊ में पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा. इस दौरान मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल उपस्थित रहेंगे. 7 बार लोकसभा और 4 बार के राज्यसभा सदस्य यादव का मध्य प्रदेश से गहरा नाता था. उनका जन्म नर्मदापुरम (होशंगाबाद) जिले आंखमऊ गांव में हुआ था. उन्होंने 1 जुलाई 1947 को किसान परिवार में जन्म लिया. उन्हें साल 1971 में राजनीति में दिलचस्पी हुई.

पढ़ाई में जबरदस्त थे यादव
वे उस वक्त इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने जबलपुर आए थे. उन्होंने यहां चुनाव लड़ा और छात्र संघ के अध्यक्ष बने. इसके बाद राजनीति ही उनका करियर बन गई. शरद यादव पढ़ाई में जबरदस्त थे. उन्होंने बीई (सिविल) में गोल्ड मेडल जीता था. उनके आदर्श राम मनोहर लोहिया थे. यादव उनके विचारों से प्रभावित थे. इसी वजह से वे कई बार लोहिया के आंदोलन में हिस्सा भी लिया करते थे. राजनीतिक जीवन में वे कई बार मिसा (MISA)के तहत जेल गए. मंडल कमीशन की सिफारिसों को लागू करने में शरद यादव का बहुत बड़ा हाथ है.

चुनाव लड़े और जीता
यादव जेपी आंदोलन के दौरान कांग्रेस के विरोध में चुनाव लड़े और जीता. दरअसल. जय प्रकाश नारायण 1974 में इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू कर चुके थे. जेपी आंदोलन पूरे देश में फैल रहा था. ठीक उसी वक्त जबलपुर से कांग्रेस सांसद की अचानक मृत्यु हो गई और जयप्रकाश नारायण ने उपचुनाव में कांग्रेस के मुकाबले इस युवा छात्र को संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारने का फैसला किया.

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