Sharad Yadav Death: जबलपुर से शुरू हुआ था शरद यादव का पॉलिटिकल सफर, बिहार को बनाया कर्मभूमि

Sharad Yadav Death: जबलपुर से शुरू हुआ था शरद यादव का पॉलिटिकल सफर, बिहार को बनाया कर्मभूमि


रिपोर्ट- अभिषेक त्रिपाठी

जबलपुर. पूर्व केंद्रीय मंत्री और जेडीयू (जनता दल यूनाइटेड) के पूर्व अध्यक्ष और तत्कालीन राष्ट्रीय लोकतांत्रिक जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव का 75 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है. वे समाजवाद की राजनीति से जाने जाते थे. शरद यादव जनता के बीच काफी चर्चित नाम थे. एमपी के जबलपुर से शरद यादव का गहरा नाता रहा है. जबलपुर से ही उन्होंने राजनीतिक एबीसीडी पढ़ी थी. पॉलिटिकल कैरियर की शुरुआत जबलपुर से ही हुई थी. शरद यादव भारत की राजनीति का माना जाना चेहरा थे, शरद यादव एक रणनीतिकार नेता थे जिन्होंने अपने रणनीति से बड़े बड़ों को चित्त कर दिया था. इन सब चीजों के बड़े किस्से हैं लेकिन आज हम इनके जबलपुर से जुड़े किस्से के बारे में बताने वाले हैं.

मध्य प्रदेश की छात्र राजनीति से निकले शरद यादव की पहचान राष्ट्रीय स्तर पर बिहार से ही बनी. यहां से वह चुनकर कई बार संसद तक पहुंचे. जेडीयू के वह लंबे समय तक राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे. इन सब वजहों से ही लोग उन्हें बिहार का समझ बैठते थे, लेकिन ऐसा नहीं है. बिहार उनके लिए कर्मभूमि रही, जबकि उनकी जन्म भूमि मध्य प्रदेश है.

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जबलपुर से कैसे जुड़ा है शरद यादव का किस्सा
जबलपुर इंजीनियरिंग महाविद्यालय के स्टूडेंट और जबलपुर छात्र संघ के अध्यक्ष थे. शरद यादव जी हां आपको बेहद रोचक बात बताएं जय प्रकाश नारायण ने पहली बार खुद की मर्जी से यादव को उम्मीदवार बनाया था.गौरतलब है कि सेठ गोविन्द दास के निधन से जबलपुर की सीट खाली हुई थी तभी जबलपुर की सीट से उम्मीदवार बने थे. मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री, जो की कांग्रेस से थे पीसी सेठी उन्होंने शरद यादव को हराने के लिए सारे तिकड़म लगा दिए थे, लेकिन उसके बावजूद जेपी नारायण का उम्मीदवार यानी शरद यादव ने विजय हासिल की थी.

शरद यादव जब संसद पहुंचे
आपको बता दें कि हलधर किसान के चुनाव चिन्ह से चुनाव लड़कर विजय हुए तब शरद यादव लोकसभा पंहुचे, तो देश में लोकशाही पर भरोसा एक बार फिर जम चुका था.

ऐसे हुई थी शरद यादव के लिए फंडिंग
शरद यादव के चुनाव फंड के लिए बहुत दूर- दराज़ से पैसा भेजा गया था. शरद यादव को चुनाव जीतने के लिए कई जगहों से फंडिंग की गई थी.

ईमानदारी के थे मिसाल
शरद यादव ईमानदार नेता थे. एक और जरूरी बात बताएं शरद यादव डॉ राम मनोहर लोहिया के वे अनुयायी हैं, लोहिया ने विपक्ष के सदस्य के रूप में लोकसभा में इंदिरा गांधी को जनहित के कार्य करने को मजबूर किया था.

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