Rss chief mohan bhagwat pundit remark creates political social furore bjp leader satyanarayan sattan disagree know detail – मोहन भागवत का बयान- जाति भगवान ने नहीं पंडितों ने बनाई; बीजेपी नेता बोले
हाइलाइट्स
जाति व्यवस्थ और पंडितों को लेकर मोहन भागवत के बयान पर बवाल जारी
राष्ट्रीय कवि सत्यनारायण सत्तन ने कहा- ऋषि-मुनियों ने दी थी जाति व्यवस्था
बीजेपी के पूर्व विधायक बोले- RSS प्रमुख मोहन भागवत कुछ भी कह सकते हैं
इंदौर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत के बयान पर उठा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. इस विवाद में भाजपा नेता भी कूद पड़े हैं. बीजेपी के पूर्व विधायक एवं राष्ट्रीय कवि सत्यनारायण सत्तन ने मोहन भागवत के बयान पर सधी लेकिन कड़ी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि जाति व्यवस्था ऋषि-मुनियों ने दी थी, जिसे वर्ण व्यवस्था का नाम दिया गया था. वर्ण व्यवस्था कर्म के आधार पर तय किया गया था. सत्यनारायण सत्तन ने आगे कहा कि मोहन भागवत कुछ भी कह सकते हैं, लेकिन उससे मैं सहमत हूं यह जरूरी नहीं है. साथ ही कहा कि जाति को पकड़े रखना ठीक नहीं है.
मोहन भागवत ने मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा था कि जाति व्यवस्था ईश्वर ने नहीं बनाई है, बल्कि यह पंडितों के द्वारा बनाई गई. उनके इस बयान के बाद बवाल मचा हुआ है. देश के विभिन्न हिस्सों में उनके इस बयान की कड़ी आलोचना की जा रही है. कुछ ब्राह्मण संगठनों ने विरोध की भी चेतावनी दी है. हालांकि, मोहन भागवत के बयान पर सफाइल देते हुए संघ द्वारा कहा गया कि सरसंघचालक ने जिस ‘पंडित’ शब्द का उपयोग किया था, जिसका मतलब ‘बुद्धिजीवियों’ से है न कि ब्राह्मणों से. आरएसएस के प्रचार प्रभारी सुनील आंबेकर ने बताया कि सरसंघचालक मराठी में बोल रहे थे. मराठी में पंडित का अर्थ बुद्धिजीवी होता है. आंबेकर ने कहा कि मोहन भागवत के बयान को सही दृष्टिकोण में लिया जाना चाहिए.
‘ब्राह्मण नहीं पंडित कहा था’, मोहन भागवत के जाति संबंधी बयान पर RSS की सफाई, मतलब भी बताया
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क्या बोले भाजपा के पूर्व विधायक?
मोहन भागवत के बयान पर बीजेपी के पूर्व विधायक और राष्ट्रीय कवि सत्यनारायण सत्तन ने कहा कि बड़े-बड़े ऋषि एवं मुनियों ने जाति व्यवस्था दी थी, जिसे वर्ण व्यवस्था नाम दिया गया था. वर्ण व्यवस्था को कर्म के आधार पर तय किया गया था. सत्यनारायण सत्तन ने कहा, ‘मोहन भागवत कुछ भी कह सकते हैं, लेकिन उनसे हम सहमत हों यह जरूरी नहीं है. जाति को पकड़कर रखना ठीक नहीं है. जब सारे मानव एक हैं तो हमारी जाति मनुष्य होनी चाहिए, ऐसे में सिर्फ 2 ही जातियां हो सकती हैं- एक नर और एक मादा. ऋषि-मुनियों ने वर्ग विभाजन किया था, उसे हमलोगों ने जाति का नाम दे दिया.’
कर्म के आधार पर कार्य का विभाजन
बीजपी के पूर्व विधायक ने कहा कि कर्म के आधार पर यह तय किया गया कि शिक्षा का काम एक वर्ण विशेष के लोग करेंगे, सुरक्षा काम दूसरे वर्ण के लोग करेंगे, व्यापार-व्यवसाय का काम एक वर्ण विशेष के लोग करेंगे और सेवा का कर्म एक वर्ण के पास था. उन्हें जातियों और वर्गों में बांट दिया गया, जबकि वो लोग अपने-अपने कर्म के अनुसार व्यवस्थित थे. सत्यनारायण सत्तन ने बताया कि कर्म प्रधान विश्व करि राखा. युवा पीढ़ी को लेकर सत्तन ने कहा कि हमारी व्यवस्थाओं को संभालने वाले लोग अपनी व्यवस्थाओं को सुचारू रूप से संभालने में असमर्थ हैं. जो विकृति स्कूल कॉलेजों के प्रांगणों में दिखाई दे रही है, वह अब घरों में भी प्रवेश कर गई है. यूनिवर्सिटी का प्रांगण शिक्षा का केंद्र न होकर धीरे-धीरे विसंगतियों और नशे का केंद्र बनता जा रहा है. इसके लिए हम खुद जिम्मेदार हैं. हमारे बच्चों को कई तरह की शिक्षाएं दी जाती हैं, लेकिन उन्हें आचरण की शिक्षा नहीं दी जाती है. जब हम आचरण की शिक्षा देंगे, तो सदाचरण समाज में अपने आप ही आएगा.
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Tags: Indore news, Madhya pradesh news, Mohan bhagwat, RSS chief
FIRST PUBLISHED : February 08, 2023, 07:48 IST
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