Rajgarh: काठमांडू में ही नहीं, यहां की पहाड़ियों पर भी विराजमान हैं पशुपतिनाथ, जानें महिमा

Rajgarh: काठमांडू में ही नहीं, यहां की पहाड़ियों पर भी विराजमान हैं पशुपतिनाथ, जानें महिमा


रिपोर्ट: शुभम जायसवाल

राजगढ़: जिले की घुरेल पहाड़ियों पर भी भगवान पशुपतिनाथ विराजमान हैं. जहां आज यह मंदिर है, कभी वहां हठयोगी साधना करते थे. इतना ही नहीं, इसी स्थान पर वर्ष 1711 में सुजान नाथ ने जीवित समाधि ली थी, उनकी समाधि आज भी मंदिर के समीप बनी हुई है. इसी के बाद वर्ष 1977 में यहां भगवान पशुपतिनाथ की प्रतिमा स्थापित की गई. यहां मकर संक्रांति और महाशिवरात्रि के मौके पर हर साल दो दिवसीय मेला लगता है.

ब्यावरा सुठालिया के बीच में स्टेट हाईवे के किनारे घुरेल की पहाड़ियां हैं. यहां पहाड़ों के नीचे भगवान शिव का मंदिर है. पुजारी बद्रीनाथ बताते हैं कि पुराने समय में हठयोगी यहां रहा करते थे और कठोर साधना करते थे. बताया, जब हठयोगी पहाड़ों के नीचे अपने रहने के लिए स्थान सुरक्षित कर रहे थे, तब उन्हें वहां शिवलिंग दिखा. उन्होंने शिवलिंग की पूजा-अर्चना शुरू कर दी. वर्तमान में गिंदोरहाट गांव के पुजारी यहां पूजन कार्य करते हैं.

मकर संक्रांति पर लगता है मेला
घुरेल पहाड़ी पर स्थित पशुपतिनाथ भगवान मंदिर में हर वर्ष मकर संक्रांति और महाशिवरात्रि के मौके पर विशाल मेले का आयोजन होता है. इसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु पशुपतिनाथ के दर्शन एवं पूजन के लिए पहुंचते हैं. समिति अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह सिसोदिया ने बताया कि मेले के दौरान लगभग 400 से 500 दुकानें लगती हैं और हजारों श्रद्धालु इस मेले का लुत्फ उठाते हैं.

पीढ़ियों से कर रहे मंदिर की सेवा
मंदिर में सेवा करने वाले बद्रीनाथ बताते हैं कि हमारे पूर्वज हठयोगियों के अनुयायी थे. 1711 में जब हठयोगी यहां से गए थे तब यहां की सेवा व पूजन की जिम्मेदारी हमारे पूर्वजों को सौंप गए थे. मेरे दादा जगन्नाथ गुफा में रहते थे. वहां पूजन करते थे. इसी तरह पिताजी ने भी सेवा की. मेरे चचेरे भाई हरीनाथ व हमारा पूरा परिवार इस मंदिर की सेवा में लगा रहता है.

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