MP News: महंगाई से गौशालाओं में गाय-बैल हो रहे कमजोर! जानें संचालकों का दर्द

MP News: महंगाई से गौशालाओं में गाय-बैल हो रहे कमजोर! जानें संचालकों का दर्द


रिपोर्ट: हेमंत अहिरवार

सागर/बीना. बेसहारा गोवंश को आश्रय देने के लिए चलाई जा रही गौशालाओं में पशु दिन-ब-दिन कमजोर होते जा रहे हैं. वजह यह कि पशुओं को पर्याप्त मात्रा में चारा नहीं दिया जा रहा है. सागर जिले की बीना विधानसभा में पांच गौशालाएं संचालित हो रही हैं. इनमें बारधा, बसहारी, देवल, लखाहार और ऐरण गौशाला शामिल हैं. प्रत्येक गोशाला में कम से कम 100-100 गोवंश हैं. कमोबेश हर गौशाला में पशुओं की यही स्थिति देखने को मिल रही है. बता दें कि गौशालाओं का संचालन महिला स्वसहायता समूह से कराया जा रहा है.

पशुओं की कमजोर स्थिति के बारे में जब समूह संचालिकाओं से बात की गई तो उनका कहना था कि शासन द्वारा गोवंश की देखभाल के लिए पर्याप्त राशि उपलब्ध नहीं कराई जा रही है. चारे के नाम पर प्रति गोवंश के हिसाब से सिर्फ 20 रुपये दिन का बजट दिया जा रहा है. इतनी कम राशि से गोवंश को पर्याप्त चारा नहीं मिल रहा है. भूखे रहने के कारण गौशालाओं के गोवंश कमजोर होते जा रहे हैं.

गौशाला संचालकों ने की ये मांग
गौशाला संचालकों ने प्रति गोवंश मिलने वाली राशि 20 से बढ़ाकर 50 रुपए करने की मांग की है. उनका कहना है कि राशि बढ़ने के बाद ही गोवंश को भरपेट चारा खिलाया जा सकता है. बसहारी गौशाला चलाने वाली कृष्णा स्वसहायता समूह की संचालक सपना कुशवाहा ने बताया कि शासन से मिलने वाली राशि पर्याप्त नहीं है. वर्तमान में भूसाही 15 रुपये प्रति किलो मिल रहा है, तो हरा चारा काफी महंगा है. जबकि शासन की ओर से मात्र 20 रुपए के मान से भुगतान किया जा रहा है. इतने में तो जानवर का आधा पेट भी नहीं भरता है, इसलिए अपने स्तर पर लोगों से मदद मांग कर गोवंश के लिए चारे का इंतजाम करना पड़ रहा है. यदि शासन के भरोसे रहे तो गोवंश भूख से मरने लगेंगे.

अधिकारी ने कही ये बात
विकासखंड प्रबंधक एनआरएलएम अजय चौबे का कहना है कि गौशालाओं में जितनी भी गाय रजिस्टर्ड हैं उनके हिसाब से हर महीने बजट के हिसाब से पैसा आता है. संचालकों की मांग को लेकर मैंने उच्च अधिकारियों से बात भी की है कि चारे के लिए 20 रुपए प्रति गाय के हिसाब से राशि कम है. इसमें पर्याप्त चारे की व्यवस्था नहीं हो पाती है. इस बारे में उच्च स्तर पर चर्चा चल रही है.

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