MP के किसान गुलाब की खेती से चमका रहे किस्मत, कमा रहे लाखों का मुनाफा

MP के किसान गुलाब की खेती से चमका रहे किस्मत, कमा रहे लाखों का मुनाफा


मोहित राठौर

मध्यप्रदेश के शाजापुर में पारंपरिक खेती से हटकर गुलाब के फूलों की खेती कर किसान लाखों रुपए कमा रहे हैं. शाजापुर में एक दर्जन से ज्यादा किसान इस समय गुलाब की खेती कर अपनी किस्मत चमका रहे हैं. शहर के नजदीक गिरवर गांव के किसान कई सालों से गुलाब की खेती कर अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं. गुलाब की महक सभी फूलों से ज्यादा पसंद की जाती है और यह एक बहुत ही सुंदर फूल है.

गुलाब के फूल की स्थानीय बाजार के साथ-साथ बाहरी बाजार में भी काफी मांग है. इसीलिए गुलाब की खेती फायदे का सौदा है. गिरवर गांव के किसान रमेशचंद्र पिछले 12 वर्षों से गुलाब की खेती कर रहे हैं. 7 बीघा के खेत में गुलाब की खेती से वह हर रोज तीन से चार हजार रुपए कमाते हैं. किसान रमेश चंद का कहना है कि गुलाब की खेती में काफी रखरखाव और मेहनत है. सिंचाई के साथ ही कीटनाशकों का उपयोग भी काफी मात्रा में करना पड़ता है. इसके अलावा हर रोज खेत से फूलों की तोड़ाई कर उसे मंडी में पहुंचाना भी लागत और मेहनती काम है. वह 7 बीघा के खेत से हर रोज 1 क्विंटल फूलों का उत्पादन करते हैं.

महानगरों में होती है सप्लाई
गुलाब के फूलों की काफी डिमांड है और स्थानीय मंडी के जरिए यहां का गुलाब इंदौर, भोपाल के अलावा अन्य राज्यों और महानगरों में सप्लाई होता है. मंदिरों के साथ गुलदस्ता बनाने के अलावा कई चीजों में अच्छी किस्में के गुलाब की भारी डिमांड रहती है.

गुलाब की खेती में जलवायु का अहम योगदान
गुलाब की खेती के लिए जलवायु अहम किरदार निभाता है,दरअसल उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय मौसम की स्थिति में गुलाब अच्छी तरह से उगाए जाते हैं. 15 डिग्री सेल्सियस से 28 डिग्री सेल्सियस के बीच गुलाब की खेती तकनीकी तौर पर सही मानी जाती है. आम तौर पर धूप की आवश्यकता नमी वाले मौसम की स्थिति में या बादल की स्थिति में होती है. इसके अलावा गुलाब का फूल 15°C से कम तापमान पर भी अच्छी तरह विकसित होता है.

पारम्परिक खेती के बजाय फूलों कि खेती है मुनाफ़े का सौदा..
कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ एसएस धाकड़ ने बताया कि शाजापुर जिले में गुलाब की खेती के लिए अनुकूल जलवायु और मिट्टी है. यही कारण है कि कुछ किसान गुलाब के फूलों की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. बाकी किसानों को भी पारंपरिक खेती के बजाए फूलों की खेती को अपनाना चाहिए, किसानों के लिए कृषि विज्ञान केंद्र में उचित प्रशिक्षण मार्गदर्शन के लिये समय-समय पर कार्यशाला का आयोजन भी किया जाता है.

Tags: Madhya pradesh news, Ujjain news



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