Mahaveer Jayanti 2023: महावीर जयंती पर ऐसे करें पूजा तो मिलेगा सुख-समृद्धि का आशीर्वाद, जानें शुभ मुहूर्त 

Mahaveer Jayanti 2023: महावीर जयंती पर ऐसे करें पूजा तो मिलेगा सुख-समृद्धि का आशीर्वाद, जानें शुभ मुहूर्त 


प्रदीप कश्यप

सतना. महावीर जयंती को जैन समाज के लिये बहुत शुभ माना जाता है. इस दिन जैन समाज के लोग सुबह से भगवान महावीर की पूजा-अर्चना करते हैं और बड़े धूमधाम से इस जयंती को मनाते हैं. महावीर जयंती चैत्र शुक्ल त्रयोदशी के दिन मनाई जाती है. बता दें कि, जैन समाज के सभी त्योहार दिन में मनाये जाते हैं. यानी सूर्य उदय के बाद त्योहारों को मानते हैं. इस वर्ष, चार अप्रैल को पहली तेरस की उदिया तिथि मानी जा रही है. यही वजह है कि 4 अप्रैल को यह त्योहार धूमधाम से मनाया जाएगा.

महावीर जयंती के दिन जैन समाज के द्वारा सुबह से लेकर दोपहर तक पूजा-पाठ का कार्य चलेगा. उसके बाद सायंकालीन में भगवान महावीर की भव्य शोभा यात्रा निकाली जाएगी जिसमें जैन समाज के बच्चे, बड़े और बुजुर्ग सभी उत्साहपूर्वक शामिल होंगे.

जैन समाज के पंडित महेश कुमार जैन ने बताया कि भगवान महावीर स्वामी जी का जन्म आज से 2621 वर्ष पहले बिहार के वैशाली में हुआ था. जब भगवान महावीर का जन्म हुआ था तब देवों ने आकर उनका जय जयकार मनाया था. इंद्र अपने एरावत हाथी पर बैठकर आए थे और भगवान महावीर को उस पर बिठा कर के पांडूप शिला में ले गए थे. यहां पर उनका जन्म अभिषेक मनाया गया था.

पूजा-अर्चना करने का शुभ मुहूर्त

भगवान महावीर स्वामी जयंती के दिन उनके पूजा-पाठ का शुभ मुहूर्त सुबह 6:30 बजे से 8:00 बजे तक, उसके बाद 9:00 बजे से 10:30 बजे तक, और शोभा यात्रा का समय 03:30 बजे से 5:30 बजे तक रहेगा. इस समय अगर भगवान महावीर स्वामी की पूजा-अर्चना करेंगे तो हमारे जीवन में रिद्धि-सिद्धि, संपन्नता आएगी. साथ ही, हमारे जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ेगी.

भगवान महावीर के अभिषेक के बाद मांगलिक वस्तुओं का चढ़ावा

जब हम भगवान महावीर स्वामी का अभिषेक करते हैं तो उसके बाद मांगलिक वस्तुओं का उपयोग किया जाता है. उन मांगलिक वस्तुओं में चावल जिसे अक्षत के रूप में माना जाता है. उस अक्षत को हम पीला कर लेते हैं, उसको हम पुष्प कहते हैं. ऐसे ही नारियल के गरी का टुकड़ा, जिसे चिटक बोलते हैं, वो नैवेद्य कहलाता है. गरी के टुकड़े को जब हम पीला कर लेते हैं तो उसे हम दीप बोलते हैं. लौंग के टुकड़े होते हैं, उसे हम धूप बोलते हैं. बादाम, फल आदि सारी सामग्री मिलाने पर उसको हम अर्ध बोलते हैं. इसे जल, चंदन आदि आठ द्रव्यों से भगवान महावीर की आराधना करते हैं, जो मंगल द्रव्य कहलाते हैं. यह मंगल द्रव्य हम भगवान महावीर को समर्पित करते हैं.

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