Jyotiraditya Scindia grab hinutva agenda during program at indore said my family did sacrifice for india

Jyotiraditya Scindia grab hinutva agenda during program at indore said my family did sacrifice for india


इंदौर. इंदौर में चल रहे जी 20 देशों के एग्रीकल्चर वर्किंग ग्रुप की बैठक में शामिल होने आए केंद्रीय नागरिक उड्डयन और इस्पात मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का हिंदुत्व का रंग देखने को मिला है. उन्होंने अपने पूर्वजों को दिल्ली के लाल किले पर भगवा ध्वज फहराने वाला पहला हिंदू शासक बताया. दरअसल ज्योतिरादित्य सिंधिया जी-20 देशों की बैठक में शामिल होने इंदौर आए थे. इसी दौरान वो राज्य सरकार की विकास यात्रा में भी शामिल हुए. शहर के विधानसभा क्षेत्र में आयोजित विकास यात्रा में वो शामिल हुए.

इस दौरान उन्होंने अपने परिवार को मुगलों से लड़ऩे वाले राजाओं के तौर पर पेश किया और सिंधिया राजवंश को छत्रपति शिवाजी के हिंदवी स्वराज के नारे को बुलंद करने वाला बताया. उन्होंने कहा कि सिंधिया राजवंश के महादजी सिंधिया ने 10 फरवरी 1771 को दिल्ली के लाल किले पर भगवा ध्वज फहराकर मराठा हिंदवी स्वराज का श्रीगणेश किया था, ऐसा करने वाले वे पहले हिंदू राज्य शासक थे. अभी 12 फरवरी को ही महादजी महाराज की पुण्यतिथि थी. उन महादजी महाराज को हम नमन करते हैं.

सिंधिया ने कहा कि महादजी सिंधिया ने ही भगवा झंडे तले पहली बार जाटों, गुर्जरों, दलितों, सिखों, राजपूजों को एकजुट करके एक शक्तिशाली फौज बनाकर हिंदवी स्वराज की स्थापना की थी. केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को मंच से ये सब क्यों बताना पड़ रहा इसके पीछे का एक बड़ा कारण है. दरअसल सिंधिया और उनके परिवार पर 1857 की क्रांति के दौरान अंग्रेजों का साथ देने का आरोप लगता रहा है. उन पर झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के साथ विश्वासघात करने और देशद्रोह जैसे आरोप विपक्षी दल समय समय पर लगाते रहते हैं, ऐसे में सिंधिया अब अपने परिवार की छवि को बदलने में लगे हुए हैं और इसीलिए वो अपनी पांचवी पीढ़ी के कामों को गिना रहे हैं.

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मध्य प्रदेश

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वो कह रहे हैं कि दिल्ली के चांदनी चौक का कायाकल्प और लाल किले की मरम्मत महादजी सिंधिया ने कराई थी और किले में एक नई छावनी भी बनाई थी. महादजी सिंधिया ने 1761 में पानीपत की तीसरी लड़ाई में अपने 16 भाईयों का बलिदान दिया और खुद भी बुरी तरह घायल हो गए थे. एक भिश्ती ने उनकी जान बचाई थी और एक टांग गंवाने के बावजूद अप्रतिम साहस से लबरेज महादजी सिंधिया ने फिर से अपनी सेना सुगठित की और फ्रांस और पुर्तगाल के सैन्य विशेषज्ञों से ट्रेनिंग के बाद दिल्ली पर आक्रमण करके सरदार कासिम अली को परास्त किया था.

10 फरवरी 1771 को लाल किले पर भगवा फहराया था, इतना ही नहीं महादजी सिंधिया ने अहमद शाह अब्दाली जैसे विदेशी आक्रांताओं और अंग्रेजों से लोहा लिया था और 1782 में उन्होने लाहौर से सोमनाथ मंदिर के चांदी उन दरवाजों को वापस अपने कब्जे में ले लिया जो महमूद गजनवी 1030 ईसवी में सोमनाथ से लूटकर ले गया था, बाद में जब उन दरवाजों को सोमनाथ मंदिर को लौटाया गया तो सोमनाथ मंदिर प्रबंधकों ने लेने से इनकार कर दिया तब उन चांदी के दरवाजों को उज्जैन के महाकालेश्रर मंदिर में लगाया गया.

Tags: Indore news, Jyotiraditya Scindia, Mp news



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