Indore: पिता की हुई मौत और चाचा की चाय दुकान बंद, छात्रा की पढ़ाई छूटी तो कलेक्टर ने भर दी फीस

Indore: पिता की हुई मौत और चाचा की चाय दुकान बंद, छात्रा की पढ़ाई छूटी तो कलेक्टर ने भर दी फीस


रिपोर्ट : अंकित परमार

इंदौर. इंदौर जिले में हर सप्ताह जनसुनवाई का आयोजन किया जाता है. कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी सहित अन्य अधिकारी जनसुनवाई में सैकड़ों नागरिकों की समस्याओं का निराकरण कर रहे हैं. जनसुनवाई में जरूरतमंदों को उनकी आवश्यकता के अनुरूप सहायता उपलब्ध कराने के प्रयास भी किए जा रहे हैं. किसी को मकान, किसी को वाहन तो किसी को तात्कालिक आवश्यकता की पूर्ति के लिए रेडक्रॉस से छोटी-छोटी आर्थिक मदद भी की जा रही है. यह मदद उनके लिए बड़े काम की साबित हो रही है.

मंगलवार को हुई जनसुनवाई में एलआईजी कॉलोनी में रहनेवाली आयुषी नागर पहुंचीं. उन्होंने कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा को अपनी समस्या बताई और कहा कि मेरे पिताजी का निधन लगभग 10-12 वर्ष पहले हो गया था. मैं अपने बड़े पिताजी के साथ रह रही थी. बड़े पिताजी की चाय की दुकान थी. पिछले कुछ समय से उनकी चाय की दुकान बंद हो गई. उनके सामने आर्थिक संकट आ गया. मैं बीकॉम के अंतिम वर्ष की छात्रा हूं. अभी हमारे पास फीस भरने के पैसे नहीं हैं. मेरी पढ़ाई रुक जाएगी अगर फीस नहीं जमा करूंगी. कलेक्टर ने गंभीरता से उनकी समस्या सुनी और तुरंत ही रेड क्रॉस से 15 हजार की राशि दी और कहा कि अपनी पढ़ाई जारी रखो. अंतिम वर्ष की परीक्षा देने के बाद प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करो और आगे बढ़ो. यह छात्रा खुश होकर अपने घर की ओर रवाना हुई.

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वहीं, आयुषी ने बताया कि वह अपने बड़े पापा का काम बंद होने के बाद कॉलेज की फीस नहीं भर पा रही थी. पढ़ाई छूट जाने की चिंता से वह लगातार परेशान हो रही थी. उसे किसी ने सुझाव दिया कि कलेक्टर कार्यालय में होनेवाली जनसुनवाई में अपनी समस्या बताए. मंगलवार को हुई जनसुनवाई में आयुषी ने अपनी समस्या साझा की तो कलेक्टर ने तुरंत की मदद की. आयुषी का कहना है कि 15 हजार उसके लिए बहुत बड़ी रकम है. मेरे पास डिग्री होगी तो कहीं भी नौकरी शुरू कर अपने परिवार की मदद कर सकती हूं और आर्थिक समस्या से बाहर आ सकती हूं.

इसी तरह की सहायता सुखलिया की रहनेवाली मीनाक्षी वानखेड़े को भी दी गई. उन्हें पांच हजार रुपये की सहायता उनके पुत्र के इलाज के लिए स्वीकृत की गई. जयश्री नगर में रहने वाली सीमा आचार्य और लक्ष्मी सिसोदिया को भी पांच-पांच हजार रुपये दिए गए.

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