Gwalior Fort: सुंदरता और शिल्पकला का बेजोड़ नमूना, दुर्लभ हैं यहां की जैन प्रतिमाएं

Gwalior Fort: सुंदरता और शिल्पकला का बेजोड़ नमूना, दुर्लभ हैं यहां की जैन प्रतिमाएं


ग्वालियर: ग्वालियर का इतिहास गौरवशाली तो है ही, यहां की प्राकृतिक सुंदरता और शिल्पकला भी बेजोड़ है. हर साल लाखों सैलानी देश-विदेश से यहां इनको देखने आते हैं. इन्हीं सब के बीच ग्वालियर फोर्ट के उरवाई गेट पर एक नायाब धरोहर सैलानियों को अपनी ओर सहज ही आकर्षित कर लेती है. जानकारों का कहना है कि जैन धर्म से संबंधित ये प्रतीमाएं दुर्लभ हैं.

उरवाई गेट पर जैन धर्म की इन विशाल प्रतिमाओं को पत्थरों को काटकर बनाया गया है. इन दुर्लभ प्रतिमाओं में कई ऐसी प्रतिमाएं हैं, जो विश्व में कहीं भी देखने को नहीं मिलतीं. मशहूर इतिहासकार माता प्रसाद शुक्ल ने बताया कि ग्वालियर की ये जैन प्रतिमाएं दुर्लभ हैं, जो गोपाचल पर्वत के दोनों ओर बनाई गई हैं. बताया, अगर एक तरफ ये प्रतिमाएं सुंदरता और धर्म का अनूठा संगम हैं, तो दूसरी तरफ शिल्पकला का बेजोड़ नमूना. इन प्रतिमाओं का निर्माण लगभग 15वीं शताब्दी में राजा डूंगरमल के द्वारा जैन धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए करवाया गया था.

कई प्रतिमाएं हैं खंडित
माता प्रसाद ने बताया कि डूंगरमल बेहद धार्मिक राजा थे और सभी धर्मों का सम्मान करते थे. उन्हीं के शासनकाल में इन मूर्तियों का निर्माण करवाया गया था. उन्होंने बताया कि मुस्लिम आक्रमणकारियों ने जब ग्वालियर दुर्ग पर विजय प्राप्त की, तब यहां की कई दुर्लभ संपदाओं को वे अपने साथ ले गए. जिन्हें वो साथ न ले जा सके, उन्हें नष्ट करने के उद्देश्य से खंडित कर दिया. इसके बावजूद आज भी यह प्रतिमाएं अपने वजूद की गाथाएं गा रही हैं.

दुर्लभ मूर्तियों का है संग्रह
किले के उरवाई गेट पर बनी ये दुर्लभ प्रतिमाएं किसी खजाने से कम नहीं हैं. यहां भगवान आदिनाथ के कई स्वरूपों को दिखाया गया है. मूर्तियों में उनके ध्यान रूप, अध्यात्म रूप और उनकी कायोत्सर्गा मुद्रा को भी दर्शाया गया है. इन्हें देखने के लिए भारी संख्या में सैलानी यहां आते हैं.

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FIRST PUBLISHED : January 19, 2023, 17:10 IST



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