Balaghat: यहां देव स्थान के पास विशाल वृक्ष के नीचे होती है विशेष परीक्षा, जागरूक आदिवासियों की अनूठी पहल
चितरंजन नेरकर, बालाघाट. मध्यप्रदेश केबालाघाट में कुछ जागरूकआदिवासी अपने साथ ही पूरे समाज को आगे बढ़ाने में जुटे हैं. आदिवासी बहुल इस जिले में शिक्षा का स्तर काफी नीचे है. इसी को देखते हुए आदिवासी समाज के कुछ लोगों ने गांवों के बच्चों को विशेष रूप से तैयार करने का बीड़ा उठाया है.
बालाघाट जिले की उप तहसील लामता में आदिवासी समुदाय के शिक्षित वर्ग ने आदिवासी बच्चों को शिक्षित करने के लिए वर्ष 2018 में आदिवासी विकास ग्रुप का गठन किया. पहली बार ग्राम पंचायत कोचेवाड़ा के नरसिंगा गांव में भगवान नरसिंगा मंदिर के पास महुआ के पेड़ के नीचे बच्चों की परीक्षा ली, तब25 से 30 आदिवासी बच्चों ने पेपर हल किया गया था. यहां परीक्षा लेने का उद्देश्य भी विशेष है. पास में ही आदिवासी समुदाय केकुल देवता बड़ा देव का स्थान है, जिन्हें साक्षी बनाकर बच्चों काभविष्यबेहतर बनाने का प्रयास किया जाता है.
परीक्षा में यह सब रहता है शामिल
इस परीक्षामें आसपास के 20 से 25 गांवों में निवासरत करीब 150 आदिवासी छात्र हिस्सा लेते हैं. इनमें कक्षा तीसरी से लेकर 12वीं तक के बच्चों के साथ हीकॉलेज के छात्र छात्राएं भी शामिल होते हैं.बच्चों की तर्कशक्ति के आधार पर इन्हें तीन वर्गों में बांटकर तीन अलग-अलग प्रश्न पत्र दिए जाते हैं. प्रश्र पत्र में आदिवासी समाज से जुड़े प्रश्र, पाठ्यक्रम से जुड़े प्रश्र, गणित और कांम्पीटिशन को लेकर जनरल नॉलेज के प्रश्रों को सम्मिलित कर 100 प्रश्नों का पत्र तैयार किया जाता है. प्रथम आने वाले बच्चों को पुरस्कार दिया जाता है, यहीनहीं समुदाय के शिक्षित वर्ग के द्वारा बच्चों के लिएसमय-समय पर खेल प्रतियोगिताओं और मोटिवेशनल स्पीच का आयोजन भी किया जाता है.
निस्वार्थ भाव से होता है आयोजन
आदिवासी विकास ग्रुप में 20 से 25 सदस्य हैं जो सभी आदिवासी समाज से आते है, इनमें कई सदस्य शासकीय सेवकहैं तो कई प्राईवेट सेवाएं दे रहेहैं, जिन्होंने निस्वार्थ भाव से अपने समाज को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ाने का बीड़ा उठाया है. यही सदस्य आपस में मिलकर राशिजमा करते हैं, और बच्चों की परीक्षा से लेकर पुरस्कार तक का खर्च वहन करते हैं.
आस्था के साथ अतीत को नहीं भूलते आदिवासी
आदिवासी विकास ग्रुप के सदस्य शिक्षक से चर्चा के दौरानउन्होंने बताया कि वर्ष 2018 में समाज के वरिष्ठ नागरिकों की मौजूदगी में यह निर्णय लिया गया था कि नरसिंगा मंदिर के पास में पहाड़ के नीचे पर महुआ का पेड़ के नीचे ही बच्चों की परीक्षा ली जाएगी, क्योंकि देवता की कृपा सेहमारे बुजुर्ग भी पेड़ों के नीचे जीवन बिता कर आज इस मुकाम तक पहुंचे हैं. इन्हीं कोसाक्षी बनाकर बच्चों का भविष्य संवारा जा रहा है.
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FIRST PUBLISHED : January 31, 2023, 15:16 IST
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