सागर में बकरों ने खींचा देवी मां का रथ, 6 साल बाद हुई तिसाला बड़ी पूजा 

सागर में बकरों ने खींचा देवी मां का रथ, 6 साल बाद हुई तिसाला बड़ी पूजा 


अनुज गौतम/सागर: नगर को बुरी बला से बचाने के लिए सागर में अनूठी यात्रा निकाली गई, जिसमें काले बकरों के द्वारा देवी मां का रथ खींचा गया. सागर में यह यात्रा जाटव समाज के द्वारा पिछले 200 सालों से निकाली जा रही हैं. इसे तिसाला बड़ी पूजा के नाम से जाना जाता है जो हर तीसरे साल में निकाली जाती है. हालांकि इस बार यह यात्रा 6 सालों के बाद निकाली जा रही है, क्योंकि पिछली बार करोना की वजह से इसे स्थगित कर दिया गया था.

यह यात्रा इस बार और भी भव्य कर दी गई. माता के रथ के आगे खप्पर चलता है और उसके आगे बड़गांन बाबा का मुर्गा भी रहता है. उसके आगे उतारा होता है, यानी लोग रथ के आगे बैठ जाते हैं. इसमें जो पंडा रहता है वह नींबू से उतारा करता है. कुछ पंडे अपने मुंह में बाना भी लगाए रहते हैं. इसके साथ ही इसमें गाजे-बाजे धूम-धड़ाके के साथ लोग चलते हैं. इसमें कुछ झांकियां भी थीं जो आकर्षण का केंद्र रहीं.

यात्रा के दौरान उतारा
यात्रा में कुछ लोग शेर नृत्य कर रहे थे, कुछ अखाड़े के करतब दिखा रहे थे. कुछ मलखंब पर करतब दिखा रहे थे तो कुछ भक्ति में विभोर होकर नाचते हुए नजर आ रहे थे. जगह-जगह यात्रा का स्वागत किया जा रहा था. कहीं फलों का वितरण हो रहा था तो कहीं पर शरबत पिलाया जा रहा था. इस तरह से इसमें हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए. भगवती प्रसाद जाटव ने बताया कि यह मरई माता का खप्पर है, जहां से भी निकलता है वहां बुरी बलाओं का साया दूर हो जाता है.

20,000 लोग शामिल!
यह यात्रा सदर के हेर आई माता मंदिर प्रांगण से शुरू होकर कबूला पुल, 14 मोहाल, 10 मोहाल परेड मंदिर से होते हुए पुरानी सदर राठौर बांग्ला से वापस मंदिर प्रांगण में पहुंचती है, जहां पर विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है. जाटव समाज का दावा है कि इस यात्रा में करीब 10 राज्यों के 20,000 लोग शामिल हुए हैं. सागर में मरही माता का खप्पर पिछले 200 सालों से निकलता आ रहा है.

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