सतना: पशुपालक खुशीहाल की संघर्ष भरी जिंदगी, एक गाय ने खुशियों से भर दिया घर, जानें कैसे?

सतना: पशुपालक खुशीहाल की संघर्ष भरी जिंदगी, एक गाय ने खुशियों से भर दिया घर, जानें कैसे?


प्रदीप कश्यप/सतना. सतना जिले के एक ऐसे व्यक्ति, जिन्होंने पशुपालन की दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई है. एक गाय की सेवा से शुरू कर आज इनके पास सैकड़ा से ज्यादा गाय भैंस हैं.पशुपालक का नाम है खुशीहाल कुशवाहा, जो कि शहर के धवारी इलाके के रहने वाले हैं, उन्होंने अपने जीवन के शुरुआत एक गाय पालकर शुरू की थी, वर्तमान समय में इनके पास100 से ज्यादागाय भैस हैं, इन्होंने लगातार संघर्ष करते हुए सफलता हासिल की.

कहते हैं अगर मन में कुछ जज्बा हो कर दिखाने का तो हर मुश्किल आसान हो जाते हैं, ऐसे ही एक व्यक्ति की हम बात कर रहे हैं जो मध्यप्रदेश के सतना जिले के धवारी क्षेत्र के रहने वाले पशुपालक हैं, पशुपालक खुशीहाल कुशवाहा के संघर्ष भरे जीवन में एक गाय आज जिंदगी की खुशहाली बन गई, पशुपालक खुशीहाल कुशवाहा का कहना है किउनके पिता शिवधारी कुशवाहा रेलवे के पार्सल पोस्टर मैन थे, पिताजी ने सन 1972 में यह नौकरी ज्वाइन की थी, और वर्ष 2008 में वह नौकरी से रिटायर हो गए.

ऐसे की पशुपालन की शुरुआत
बात सन 1996 की है जब पशुपालक खुशीहाल कुशवाहा परिवारिक स्थिति सही नहीं थी उनके पिता की वेतन इतनी नहीं थी कि परिवार अच्छे ढंग से चलाया जा सके, इसी दौरान उनकी माता प्रभावती कुशवाहा की मलेरिया की बड़ी बीमारी से ग्रसित हो गई, खुशीहाल परिवार की आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे, एक तरफ मां की सेवा दूसरी तरफ परिवार की आर्थिक तंगी खुशी हाल के लिए एक बड़ी चुनौती थी, ऐसे में खुशीहाल ने सन 1996 में ही पिताजी की 2 माह कावेतन इकट्ठा कर 26 सौ रुपये की एक गाय खरीदी, और उसके दूध को बेचने लगा, धीरे-धीरे उन्होंने इस संघर्ष को जारी रखा, और उनके पास एक गाय से 2 साल के अंतराल में 3 गाय हो गई, और वह दूध का व्यापार करते करते हुए आगे की ओर बढ़ने लगे, खुशीहाल परिवारिक जिम्मेदारियों के साथ-साथ पशुपालन की जिम्मेदारी को बखूबी निभाने लगे. और अब एक सफल कारोबारी हो गए हैं.

मेहनत का नतीजा, जिले के बड़े पशुपालकों में शुमार हुए
वर्तमान समय में खुशीहाल के पास 100 गाय भैंस हैं, आज वह जिले के एक बड़े पशुपालक के रूप में माने जाते हैं, इसी बीच खुशीहाल कुशवाहा ने खेती भी शुरू की और जानवरों के लिए चारा भी अपने खेत से जुटाने लगे, करीब 26 सालों में वह बड़े डेयरी संचालक बन चुके हैं, खुशीहाल कुशवाहा के दो बेटियां और एक बेटा है, बेटा विष्णु कुशवाहा अपने पिता के साथ ही डेरी संचालक ने हाथ बंटाता है.

गोपाल पुरस्कार से नवाजे जा चुके हैं खुशीहाल
इस बारे में सहायक संचालक पशुपालन विभाग के डॉक्टर महेंद्र वर्मा ने बताया कि दुधारू पशुओं को बढ़ाने के लिए गोपाल पुरस्कार की शुरुआत की गई थी, जिसमें सतना जिले के निवासी खुशीहाल कुशवाहा को गोपाल पुरस्कार से नवाजा जा चुका है, उन्हें गाय और भैंस दोनों में गोपाल पुरस्कार मिल चुका है, खुशीहाल कुशवाहा ने बहुत छोटे स्तर से एक गाय से पशुपालन के क्षेत्र में अपनी आय बढ़ाने के लिए प्रयास किया जिसमें वह जिले स्तर तक का गोपाल पुरस्कार उन्होंने जीता.

Tags: Madhya pradesh news, Satna news



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