शिवपुरी में अनाथ बेसहारा लोगों को प्रभुजी के रूप में अपनाता हैं यह संस्थान 

शिवपुरी में अनाथ बेसहारा लोगों को प्रभुजी के रूप में अपनाता हैं यह संस्थान 


सुनील रजक/शिवपुरी. शिवपुरी में कोलारस रोड पर स्थित शारदा सॉल्वेंट के पास अपना घर अपना आश्रम में ऐसे लोगों को अपनाया जाता है. जो शहर में बेसहारा और असहाय और अनाथ घूम रहे हैं. वहीं शहर में किसी भी प्रकार की सूचना अपना घर अपना आश्रम के लोगों को लगती है तो वह उनका रेस्क्यू कर अपना घर अपना आश्रम में भर्ती कराते हैं जहां उन्हें खाने-पीने से लेकर सोने तक की सुविधा मुफ्त में मुहैया कराई जाती है. आपको बता दें कि 2017 से शिवपुरी में अपना घर अपना आश्रम संचालित है जोकि कई असहाय और बेसहारा और अनाथ लोगों को अपना कर उन्हें नई जिंदगी दे चुका है.

अनाथ और असहाय कोप्रभु जी के नाम से पुकारते हैं
अपना घर अपना आश्रम में आने वाले अनाथों, असहायोंको परमेश्वर के रूप मेंमाना जाता है, और उन्हें प्रभु जी कहकर पुकारा जाता है. यहांवर्तमान में 97 प्रभु जी मौजूद हैं जिनका उपचार भी अपना घर अपना आश्रम में चल रहा है. अपना घर अपना आश्रम के संस्थापक गौरव जैन ने बताया कि 2017 से अपना घर अपना आश्रम की शुरुआत की गई थी जब 5 प्रभु जी अपना घर अपना आश्रम में लाए गए थे. वहीं टोटल 411 प्रभु जी अभी तक आश्रम में रह चुके हैं. जिनमें से 50 स्वस्थ होकर अपने घर पुलिस के माध्यम से जा चुके हैं जिन्होंने स्वस्थ होकर अपने घर का पता बताया और उन्हें वहां पर छोड़ा गया

97 में सबसे ज्यादा मानसिक रोगी प्रभु जी
आश्रम मेंबाकी बचे हुएप्रभु जी को हालत गंभीर होने के चलते अपना घर अपना आश्रम के मुख्यालय भरतपुर में भर्ती कराया गया है. जहां पर अपना घर अपना आश्रम का में उनका इलाज जारी हैं.गौरव जैन ने बताया कि 97 प्रभुजी में सबसे ज्यादा मानसिक रोगी प्रभुजी हैं और उनकी दिनचर्या सुबह नाश्ते से शुरू होकर भोजन प्रसादी पर खत्म होती है फिर उन्हें बीमारी के हिसाब से इलाज के तौर पर दवाइयां दी जाती हैं.

सेवा देने वाले सभी ठाकुर जी
गौरव जैन ने बताया कि जो भी जरूरतमंद की सामग्री महीने की होती है उन्हें वह अपने ऑफिस में बोर्ड पर चिट्टी के तौर पर ठाकुरजी को लिखते हैं और ठाकुर जी के रूप में जो भी मानव आकर अपनी सेवाएं प्रदान करते हैं उनको वह ठाकुर जी का आशीर्वाद समझते हैं और उनसे वह आवश्यक सामग्री लेते हैं गौरव जैन ने बताया कि वह प्रचार प्रसार कर आवश्यक सामग्री नहीं लेते हैं ना ही प्रचार प्रसार करते हैं जो भी अपनी स्वेच्छा से वहां पहुंचकर आवश्यक सामग्री या जरूरत वाली वस्तु देना चाहता है तो वह अपना घर अपना आश्रम में जाकर दे सकता है.

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