महंगाई की मार के बीच राहत की खबर : मध्य प्रदेश में 10 फीसदी सस्ती हो सकती है बिजली, पढ़िए कैसे …..

महंगाई की मार के बीच राहत की खबर : मध्य प्रदेश में 10 फीसदी सस्ती हो सकती है बिजली, पढ़िए कैसे …..


जबलपुर. मध्यप्रदेश में डिमांड से ज्यादा बिजली होने के बावजूद यहां दाम सबसे ज्यादा हैं. उपभोक्ता सबसे महंगी बिजली खरीद रहा है. ऐसे में एक बार फिर विद्युत कंपनियों ने नियामक आयोग में बिजली की दर बढ़ाने की मांग की है. दरें बढ़ाने पर आपत्ति दर्ज कराने का आज अंतिम दिन था. बिजली के जानकारों का दावा है कि मध्यप्रदेश में बिजली के दाम बढ़ने की बजाय 10 फ़ीसदी कम हो सकते हैं.

मध्यप्रदेश में बिजली कंपनियों ने साल 2023-24 के लिए विद्युत नियामक आयोग में याचिका दायर की है. इसमें विद्युत दरों में 3.2 फ़ीसदी इजाफा करने का प्रस्ताव रखा गया है. बिजली कंपनियों के इस प्रस्ताव पर विद्युत नियामक आयोग ने प्रदेशभर से आपत्तियां बुलाई हैं. जबलपुर के बिजली के जानकार एडवोकेट राजेंद्र अग्रवाल ने विद्युत नियामक आयोग में आपत्ति दायर कर दावा किया है कि बिजली कंपनियों ने केवल आंकड़ों की कलाबाजी कर दरें बढ़ाने की मांग की है. जबकि हकीकत यह है कि मध्यप्रदेश में बिजली के दाम बढ़ाने की बजाय 10 फ़ीसदी तक कम हो सकते हैं.

राजेंद्र अग्रवाल का कहना है बिजली कंपनियों ने जो याचिका दायर की है उसमें उन मदों का खर्च भी जोड़ दिया गया है जिन मदों को विद्युत नियामक आयोग 2020-21 में खारिज कर चुका है. लेकिन इसके बावजूद बिजली कंपनियों ने 23-24 के लिए उन्हीं मदों का पैसा एक बार फिर जोड़ दिया है, जिसकी वजह से बिजली कंपनियों की लागत में बढ़ोतरी हो गई है.

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आंकड़ों के जरिए समझें तो
– विद्युत कंपनियों ने अपनी याचिका में आगामी वित्तीय वर्ष में 49,530 करोड़ के राजस्व की जरूरत बताई है.

– लेकिन उसे 47,992 करोड़ का राजस्व ही मिलेगा.

– प्रस्तावित हानि 1,537 करोड़ रुपये की होगी. इसे पूरा करने के लिए बिजली दरों में औसत रूप से 3.20 प्रतिशत बढ़ोतरी की अनुमति आयोग से मांगी गई है.

– आपत्तिकर्ता का दावा है प्रदेश की बिजली कंपनियों ने साल 2020-21 की सत्यापन याचिका के जरिए विद्युत नियामक आयोग से विभिन्न मदों से करीब तकरीबन 5121 करोड़ रुपए की मांग की थी.

– विद्युत नियामक आयोग ने इन मदों को स्वीकार नहीं किया. इसके बावजूद बिजली कंपनियों ने साल 2023-24 की याचिका में फिर से उन्ही मदों पर राशि की मांग की है.

– अगर इन मदों को हटा दिया जाए तो बिजली कंपनियों को 5121 करोड़ ऊपर का सर प्लस राजस्व मिलेगा. जिससे बिजली के दाम 10 फ़ीसदी तक कम किए जा सकते हैं.

आपत्तिकर्ता का दावा है बिजली कंपनियां आंकड़ों की कलाबाजी कर भ्रष्टाचार को अंजाम देती हैं और इसकी वसूली उपभोक्ताओं से करती हैं. लिहाजा जन सुनवाई के दौरान इस मुद्दे को मजबूती से उठाया जाएगा ताकि प्रदेश की जनता को राहत मिल सके.

आंकड़ों की कलाबाजी
बिजली कंपनियां आंकड़ों की कलाबाजी करती हैं इसमें कोई दो राय नहीं है. क्योंकि जब मध्यप्रदेश में बिजली का उत्पादन होने लगा है हम दूसरे राज्यों को बिजली बेच रहे हैं तो फिर इसके बावजूद मध्य प्रदेश की बिजली कंपनियां साल दर साल आखिरकार घाटे में क्यों जा रही हैं. यह एक बड़ा सवाल है. अब देखना यह होगा कि विद्युत नियामक आयोग जनसुनवाई के दौरान इन आपत्तियों को सुनने के बाद क्या कदम उठाता है.

Tags: Cost of electricity, Costly electricity, Jabalpur news



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