बालाघाट: 108 उपलिंगों में शामिल कोटेश्वर धाम, जहां मौजूद है भगवान शंकर का 11वीं शताब्दी पुराना शिवलिंग

बालाघाट: 108 उपलिंगों में शामिल कोटेश्वर धाम, जहां मौजूद है भगवान शंकर का 11वीं शताब्दी पुराना शिवलिंग


चितरंजन नेरकर/ बालाघाट. बालाघाट के लांजी में स्थित भगवन शिव का एक मंदिर है जिसे कोटेश्वर धाम या कोटेश्वर दादा के नाम सेजाना जाता है. बालाघाट से लगभग 65 किमी दूर यह मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की सीमा पर मौजूद है और भक्तों की अटूट आस्था का केंद्र भी है. दूर दूर से श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं लेकर आते है इसके साथ ही यहां पर साल भर श्रद्धालुओं का ताता लगा रहता हैं..

जानकर बताते है कि इस मंदिर का निर्माण 11 वी शताब्दी में हुआ था.. वही वर्ष 1900 में यह अस्तित्व में आए इस मंदिर का निर्माण ब्रिटिश शासनकाल में तत्कालीन तहसीलदार रामप्रसाद दुबे ने कराया था..इस कोटेश्वर मंदिर को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा राष्ट्रीय महत्व के स्मारक के रूप में भी वर्गीकृत किया गया है.

कोटेश्वर महादेव मंदिर पूर्व की ओर मुख किए हुए है..आपको बता दें कि मंदिर में मुख मंडप, महा मंडप, अंतराला और अभयारण्य शामिल हैं और हाल ही में मुख मंडप और महा मंडप को जोड़े गए हैं..गर्भगृह में एक गोलाकार योनी के भीतर एक शिव लिंग है…अंतराला और गर्भगृह मूल संरचना हैं.. गर्भगृह का में जाने वाले द्वार को विस्तृत रूप से उकेरा गया है..इतना ही नहीं गर्भगृह की जो बाहरी दिवारे है उस पर मूर्तियों से बड़े पैमाने पर सजाया गया है..साथ ही मंदिर परिसर में खंडित मूर्तियाँ और स्थापत्य के टुकड़े देखे जा सकते हैं.

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आपको बता दें कि कोटेश्वर धाम मंदिर में कल्चुरी कालीन कलाकृतियां देखी जा सकती है.. और इस मंदिर का उल्लेख इतिहास में भी दर्ज है बताया जाता है कि यह मंदिर 1800 ईसवी में अस्तित्व में आया है. और ब्रिटिश शासन काल में तत्कालीन तहसीलदार रामप्रसाद दुबे की निगरानी में सन 1902 में इसके बरामदे का निर्माण हुआ था.यहां श्मशान होने व प्राचीन नरसिंह मंदिर होने से यह तंत्र-मंत्र की साधना करने वाले साधकों के लिए खास है. यहां दधिचि ऋषि की तपोभूमि है और उनके तप करने का भी उल्लेख मिलता है..यहां मांगी जाने वाली हर मुराद पुरी होने से यह मान्यता का तीर्थ हो गया है.

लांजी में स्थित बाबा कोटेश्वर धाम श्रद्धालुओं के अटूट आस्था का केन्द्र है.. कोटेश्वर धाम 108 उपलिंगों में भी शामिल है.. यहां पर साल भर भक्तो की भीड़ लगी रहती है पूरा मेले जैसा माहौल रहता है.. लेकिन यहां पर सावन माह में लगने वाला मेला कुछ खास होता है.. यहां सावन माह शुरु होते ही दूर दूर कावड़िए यहां पहुंचते हैं और कोटेश्वर महादेव में जल चढ़ाते है…इस धाम में स्थानीय लोग निष्ठापूर्वक मंदिर में देखरेख करते हैं.

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