ग्वालियर व्यापार मेले में मिलने वाली खजला मिठाई की धूम, साल भर इंतज़ार करते हैं स्वाद के दीवाने

ग्वालियर व्यापार मेले में मिलने वाली खजला मिठाई की धूम, साल भर इंतज़ार करते हैं स्वाद के दीवाने


विजय राठौड़

ग्वालियर. मध्य प्रदेश के ग्वालियर व्यापार मेले में मिलने वाली खजला मिठाई का स्वाद के दीवाने एक साल तक इंतजार करते हैं. इस मिठाई के स्वाद का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि लोग न सिर्फ इसे मेले में लगने वाली दुकान पर बैठ कर खाते हैं, बल्कि किलो के हिसाब से पैक करा कर अपने साथ भी ले जाते हैं.

व्यापार मेले में खजला की दुकान के संचालक राकेश सिकरवार ने न्यूज़ 18 लोकल को जानकारी देते हुए बताया कि खजला विशेष प्रकार की मिठाई है जो मैदा और चासनी सहित अन्य चीजों से तैयार की जाती है. यह लोगों को बहुत पसंद आती है. उन्होंने बताया कि वो लगभग 25 साल से ग्वालियर व्यापार मेले में खजले की दुकान लगाते आ रहे हैं. इससे पहले उनके पिता यहां दुकान का संचालन करते थे.

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मध्य प्रदेश

राकेश ने बताया कि उन्होंने अपने पूर्वजों से इस मिठाई के बारे में सुना था. उत्तर प्रदेश के मेरठ के किसी कारीगर के द्वारा यह तैयार किया गया था. यह 100 वर्ष पुरानी बात है. वर्तमान में यह मिठाई आगरा, औरैया, इटावा, एटा सहित अन्य पश्चिमी क्षेत्रों में तैयार की जाती है. एक किदवंती का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि पूर्व में इस मिठाई को सिर्फ खाजा के नाम से जाना जाता था. लेकिन कई बार मिठाई के विशेष नाम के चलते विवाद भी हो जाते थे. मिठाई खाने के बाद लोग पैसे देने की बात पर दुकानदार से कहते थे कि तुम ही ने तो कहा था कि खाजा, तो हमने खा लिया. इन सब बातों पर गौर करते हुए बाद में इसे ख़जला के नाम से जाना जाने लगा.

वहीं, ग्रामीण अंचल में आज भी इसे खाजा के नाम से जानते हैं. राकेश सिकरवार ने बताया कि लोगों की मांग को देखते हुए विशेष तौर पर पांच प्रकार के खजला तैयार किए गए हैं. यह लोगों को खासा पसंद आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि मीठा खजला 120 से 170 रुपए प्रति किलो, फीका खजला 120 से 170 रुपए प्रति किलो, नमकीन खजला 50 रुपए पीस, मलाई वाला खजला 240 रुपए प्रति किलो, खोवा खजला 320 रुपए प्रति किलो की दर से बेचा जाता है.

इस तरह खजला मिठाई होती है तैयार

राकेश ने बताया कि सबसे पहले खाजा को तैयार करने के लिए मैदा को दूध व तेल से गूंथा जाता है. इसके बाद इसकी लोई तैयार की जाती है, फिर वनस्पति तेल में इसे भट्टी पर धीमी आंच पर काफी देर तक पकाया जाता है. इसके फूलने के बाद चासनी में डुबो दिया जाता है. इस चासनी में खोवा, मलाई भी मिक्स होती है. इसके अलावा, नमकीन खाजा बिना चासनी के ही तैयार किया जाता है.

Tags: Gwalior news, Mp news, Street Food



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