अक्षय नवमी: आंवला वृक्ष पूजा में कच्चे दूध का ऐसे करें इस्तेमाल, फिर इस मंत्र का जाप, प्रसन्न होंगे श्री हरि

अक्षय नवमी: आंवला वृक्ष पूजा में कच्चे दूध का ऐसे करें इस्तेमाल, फिर इस मंत्र का जाप, प्रसन्न होंगे श्री हरि


प्रवीन मिश्रा/खंडवा: आंवला नवमी के दिन भगवान विष्णु और शिव जी की पूजा की जाती है. कहा जाता है कि आंवला नवमी के दिन दोनों देवता आंवले के पेड़ में निवास करते हैं. इस बार 21 नवंबर यानी कल आंवला नवमी पड़ रही है. इस दिन सभी महिलाएं सुबह जल्दी स्नान कर आंवले के पेड़ की पूजा करती हैं और जल अर्पित करती हैं.

आंवले के पेड़ की जड़ में जल के बाद दूध चढ़ाया जाता है. उसके बाद पेड़ पर रोली, चावल, हल्दी सहित सभी चीजें चढ़ाकर उसके चारों तरफ कच्चा सूत या मौली 8 परिक्रमा करते हुए लपेटा जाता है. इसके बाद आंवले के पेड़ के नीचे परिवार के साथ भोजन किया जाता है.

वृक्ष की पूजा करते समय इस मंत्र का करें जाप
पंडित राजेश पाराशर के अनुसार, आंवले के वृक्ष के नीचे पूर्व दिशा में बैठकर पूजन करें और इस दिन आंवले के पेड़ की जड़ में दूध जरूर अर्पित करें. इसके बाद पेड़ के चारों ओर कच्चा धागा बांधकर कपूर बाती या शुद्ध घी की बाती से आरती करते हुए सात बार परिक्रमा करें. इसी पेड़ के नीचे भोजन बनाएं और उस भोजन का भोग आंवले के पेड़ को लगाने के बाद ग्रहण करें. वहीं भोजन से पूर्व वृक्ष के नीचे पूर्वाभिमुख बैठकर ‘ॐ धात्र्ये नमः’ मंत्र से आंवले के वृक्ष की जड़ में दूध की धार गिराते हुए पितरों को तर्पण करना चाहिए, साथ ही इस दिन ऊनी वस्त्र व कंबल दान करना बहुत पुण्यदायी होता है.

पेड़ के नीचे किया जाता है भोजन
पंडित जी ने बताया कि आंवला नवमी के दिन आंवले के पेड़ के नीचे भोजन बनाकर उसके नीचे बैठकर खाने का बहुत अधिक महत्व है. कहा जाता है की इस दिन भगवान विष्णु ने कूष्माण्डक नामक दैत्य का वध किया था. यही नहीं आंवला नवमी का दिन ही था, जिस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने कंस का भी वध किया था.

(NOTE: इस खबर में दी गई सभी जानकारियां और तथ्य मान्यताओं के आधार पर हैं. NEWS18 LOCAL किसी भी तथ्य की पुष्टि नहीं करता है.)

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