अक्षय तृतीया जैसी ही अक्षय नवमी, इस दिन एक पुण्य कार्य जरूर करें… कई जन्मों तक मिलेगा शुभ फल!
दुर्गेश सिंह राजपूत/नर्मदापुरम. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी मनाई जाती है. इसे अक्षय नवमी भी कहा जाता है. ज्योतिषाचार्य पं अविनाश मिश्रा ने बताया कि मान्यताओं के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि से लेकर पूर्णिमा तिथि तक भगवान विष्णु आंवला के वृक्ष में निवास करते हैं, इसलिए आंवला नवमी के दिन आंवला के वृक्ष की पूजा अर्चना की जाती है.
इससे आरोग्य, सुख-शांति एवं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. अक्षय नवमी का शास्त्रों में वही महत्व बताया गया है जो वैशाख मास की तृतीया यानी अक्षय तृतीया का महत्व माना जाता है. आंवला नवमी के दिन ही आंवले का प्राकट्य हुआ था. इस दिन आंवले के वृक्ष के नीचे पूजा अर्चना करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. साथ ही अक्षय वृक्ष के नीचे भोजन करना इस दिन उत्तम माना गया है.
भगवान कृष्ण ने बाल लीलाओं का किया था त्याग
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, आंवला नवमी को कूष्माण्डा नवमी एवं जगधात्री पूजा के नाम से भी जाना जाता है. शास्त्रों में बताया गया है कि आंवला नवमी के दिन किया गया पुण्य कार्य कभी खत्म नहीं होता है. इस दिन जो भी शुभ कार्य जैसे दान, पूजा-अर्चना, भक्ति, सेवा आदि की जाती हैं, उसका पुण्य कई जन्मों तक मिलता है. इस दिन किए गए शुभ कार्यों का फल अक्षय होता है, इसलिए इस तिथि को अक्षय नवमी के नाम से भी जाना जाता है. माना गया है कि इस दिन ही द्वापर युग का आरंभ हुआ था एवं इस दिन से ही भगवान कृष्ण ने अपनी बाल लीलाओं को त्यागकर मथुरा गए थे. आंवला भगवान विष्णु का अत्यंत प्रिय फल है एवं आंवले के वृक्ष में सभी देवी-देवता निवास भी करते हैं, इसलिए इस वृक्ष की पूजा अर्चना की जाती है.
अक्षय नवमी तिथि एवं शुभ योग
पं अविनाश मिश्रा के अनुसार, नवमी तिथि का प्रारंभ 21 नवंबर सुबह 3:16 मिनट से 22 नवंबर की रात 1:08 मिनट तक रहेगा. ऐसे में उदया तिथि को मानते हुए 21 नवंबर दिन मंगलवार को आंवला नवमी का पर्व मनाया जाएगा. आंवला नवमी के दिन कई शुभ योग भी बन रहे हैं, जिससे इस दिन का महत्व भी काफी बढ़ गया है. आंवला नवमी के दिन शाम 8:01 मिनट से अगले दिन 6:49 मिनट तक रवि योग रहेगा. साथ ही इस दिन हर्षण योग भी बन रहा है.
नवमी पूजन विधि
ज्योतिषाचार्य पं. अविनाश मिश्रा ने बताया कि आंवला नवमी के दिन सुबह स्नान व ध्यान करके आंवले के वृक्ष का पूजन करें. आंवले के पेड़ पर दूध, जल, अक्षत, सिंदूर व चंदन अर्पित करें. इसके बाद आंवला के पेड़ पर मौली बांधकर भगवान विष्णु के मंत्र का जप करना चाहिए. इसके बाद धूप दीप से आरती उतारें एवं 11 बार हाथ जोड़कर परिक्रमा करें. इस दिन कद्दू व सोने का दान देना बहुत शुभ माना गया है. साथ ही गरीब व जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए भी आगे आएं.
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Tags: Dharma Aastha, Hoshangabad News, Local18, Religion 18
FIRST PUBLISHED : November 20, 2023, 19:46 IST
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